अनुरा कुमारा दिशानायके राष्ट्रपति बन श्रीलंका का करेंगे दिशा निर्देशक मजदूर के बेटे से लेकर राष्ट्रपति बनने तक का सफर

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अनुरा कुमारा दिशानायके राष्ट्रपति बन श्रीलंका

अनुरा कुमारा दिशानायके राष्ट्रपति बन श्रीलंका का करेंगे दिशा निर्देशक मजदूर के बेटे से लेकर राष्ट्रपति बनने तक का सफर

श्रीलंका में हाल ही में चुनाव हो रहे हैं वह श्रीलंका के राष्ट्रपति पद के लिए हो रहे चुनाव में नेशनल पीपल्स पावर एलाइंस के नेता अनुरा कुमारा दिशानायके को जीत मिली है पिछले शनिवार को श्रीलंका में राष्ट्रपति पद के लिए मतदान चुनाव हुआ था और आज उनके रिजल्ट बाहर आए हैं और ऐलान हुआ है जिसमें सबसे आगे अनुरा कुमारा दिशानायके है

अनुरा कुमारा दिशानायके लंबे समय से सक्रिय राजनीति में जुड़े हुए हैं हालांकि आपको यह बता दे अनुरा कुमारा दिशानायके मार्क्सवादी लेप्टिस नेता है श्रीलंका राजनीति में पहली बार यह हुआ है कि कोई वामपंथी नेता राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया हो दिशानायके ने तीन बड़े नेता नमल राजपक्षे, साजिद प्रेमदासा और पूर्व राष्ट्रपति रानी विक्रमसिंघे को पीछे रखकर मार देते हुए राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए हैं जनता विमुक्ति पारामुन्ना पार्टी के नेता दिशानायके को नेशनल पीपल’एस पावर गठबंधन की ओर से राष्ट्रपति कैंडिडेट चुना गया था हालांकि एक गरीब परिवार से आते हुए नए राष्ट्रपति की कहानी बहुत ही रोमांचक रही है

हिंसा में भी शामिल हो गई थी दिशानायके की पार्टीदिशानायके का जन्म श्रीलंका की राजधानी कोलंबो शहर से 100 किलोमीटर दूर थंबूट्टेगामा मैं एक गरीब मजदूर के घर हुआ था वे अपने पूरे परिवार और अपने गांव से विश्वविद्यालय में जाने वाले पहले विद्यार्थी थे बातचीत में उन्होंने बताया कि पैराडेनिया विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था लेकिन राजनीतिक विचारधारा के कारण उनको कई बार धाम किया मिल रही थी इसके बाद वह विश्वविद्यालय छोड़कर के केलनिया यूनिवर्सिटी में आ गए थे और वहां से उन्होंने अपनी छात्र राजनीति शुरू कर दी थी 1987 और 1989 के दौरान हो रे सरकार विरोधी आंदोलन में उन्होंने अपनी सक्रियता दिखाई थी जिसके बाद वह जेविपी में शामिल हो गए थे तेजी से अपना स्थान जेवीपी पार्टी में बनाया था

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1987 में हुए सरकार विरुद्ध आंदोलन में जेविपि पार्टी सरकार के खिलाफ सहस्त्र विद्रोही किया था और भारी हिंसा पूरे श्रीलंका में खिलाई थी इसे श्रीलंका का खूनी दौर भी कहा जाता है इसके बाद सरकार ने एक्शन लेते हुए इस आंदोलन को जड़ मुड़ से कुचल दिया और जीवीपी पार्टी के संस्थापक रोहाना वीजेवीरा को मार दिया था इसके बाद दिशानायके हिंसा से अपना रास्ता अलग कर लिया था 2000 की साल में प्रथम बार वह सांसद बन के संसद में गए थे उसके बाद 2004 में श्रीलंका फ़्रीडम पार्टी के साथ गठबंधन वाली सरकार में उनका कुर्सी और सिंचाई मंत्री बनाया गया हालांकि गठबंधन में ऐसा मत के बाद दिशानायके ने 2005 में यह पद छोड़ना पड़ा

2014 में उन्होंने अपनी पार्टी की कमान संभालते हुए अध्यक्ष बने थे उन्होंने अध्यक्ष बनते हुए काफी सारे सुधार किए थे अपनी पार्टी मे 2019 के साल में राष्ट्रपति पद के चुनाव में भी खड़े रहे थे दिशानायके पर विक्रमसिंघे के सामने बहुत बुरी तरह से हार गए थे और बाद में 2022 में बेहाली की स्थिति में फिर से दिशानायके की पार्टी ने सरकार के विरोध ब में मोर्चा खोल दिया और इस अभियान के द्रव्यमान भ्रष्टाचार विरोधी नेता की छवि के रूप में अपने आप को खूब प्रदर्शित किया था और वह करने में वह कामयाब जी हो गए थे और पूरे देश में बड़े नेता के रूप में जाने गए

चीन के चमचे हैं दिशानायके

वामपंथी विचारधारा से जुड़े नए राष्ट्रपति चीन के विचारों के साथ कहीं बाढ़ खड़े हुए दिखे गए हैं और चीन के राष्ट्रपति से भी वह सतत संपर्क में रहे हैं दिशानायके भारतीय विचारधारा के रहने वाले नेताओं में से एक है उन्होंने अपने देश की बेहालि का फायदा उठाते हुए सरकार के विरुद्ध लड़क देखकर अपने आप को राष्ट्रपति बना लिया है

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